फाटा-बडासू पैदल मार्ग बना जानलेवा, जान जोखिम में डाल आवाजाही कर रहे लोग। विभाग मौन..

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ऊखीमठ: लोक निर्माण विभाग व रूद्रप्रयाग – गौरीकुण्ड नेशनल हाईवे की कार्यदाही संस्था की लापरवाही के कारण केदारनाथ यात्रा का युगों पुराना फाटा – बडासू पैदल मार्ग जानलेवा बना हुआ है। ग्रामीणों द्वारा पैदल मार्ग के रख – रखाव के लिए लोक निर्माण विभाग, नेशनल हाईवे सहित मुख्यमंत्री हेल्पलाइन तक शिकायत दर्ज की गयी है मगर आज तक पैदल मार्ग का रख – रखाव न होने से ग्रामीणों व जीआईसी फाटा में अध्ययनरत नौनिहालों को जान – जोखिम में डालकर आवाजाही करनी पड़ रही है। पैदल मार्ग की जर्जर स्थिति होने के कारण बडासू गाँव की महिलाओं व मवेशियों का जंगलों में आवाजाही करना किसी खतरे से खाली नहीं है। रुद्रप्रयाग – गौरीकुण्ड नेशनल हाईवे निर्माण के दौरान मलवा पैदल मार्ग पर गिरने से पैदल मार्ग पर बना पुल क्षतिग्रस्त होने से बरसात के समय नौनिहालों व ग्रामीणों को एक दूसरे को सहारा लेकर गाड़ – गदेरों को पार करना पड़ता है। बता दे कि रूद्रप्रयाग – गौरीकुण्ड नेशनल हाईवे निर्माण से पूर्व केदारनाथ यात्रा पैदल मार्गो से संचालित होती थी तथा केदारनाथ, त्रियुगीनारायण तीर्थों में दर्शन करने वाले देश – विदेश के तीर्थ यात्री फाटा – बडा़सू पैदल मार्ग से आवाजाही करते थे, तब पैदल से लेकर वर्तमान समय तक पैदल मार्ग के रख – रखाव का जिम्मा लोक निर्माण विभाग के पास है। विगत कई वर्षों से रूद्रप्रयाग – गौरीकुण्ड नेशनल हाईवे निर्माणाधीन का मलबा फाटा – बडा़सू पैदल मार्ग पर गिरने से पैदल मार्ग जर्जर बना हुआ है जिससे जीआईसी फाटा में अध्ययनरत बडा़सू के नौनिहालों , ग्रामीणों, गांव की महिलाओं को जंगलों में चारा पत्ती लाने के लिए जान – जोखिम में डालकर आवाजाही करने पड़ रही है।

बडा़सू निवासी राज्य आन्दोलनकारी कुवर सिंह रावत ने 5 जुलाई 22 को प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर फाटा बडा़सू पैदल मार्ग के रख – रखाव की मांग की है तथा मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में उनकी शिकायत 30 अगस्त 22 को क्रमांक संख्या 363930 पर दर्ज होने के बाद भी पैदल मार्ग की सुध लेने वाला कोई नहीं है। जानकारी देते हुए राज्य आन्दोलनकारी कुवर सिंह रावत ने बताया कि लोक निर्माण विभाग की अनदेखी तथा निर्माणाधीन  रूद्रप्रयाग – गौरीकुण्ड नेशनल हाईवे का मलवा पैदल मार्ग पर गिरने से पैदल मार्ग की स्थिति जानलेवा बनी हुई है। उन्होंने बताया कि पैदल मार्ग के रख – रखाव के लिए कई बार लोक निर्माण विभाग व नेशनल हाईवे के अधिकारियों से गुहार लगाई गयी है मगर फिर भी पैदल मार्ग जानलेवा बना हुआ है। बताया कि पैदल मार्ग की स्थिति जानलेवा होने के कारण जीआईसी फाटा में अध्ययनरत बडा़सू के नौनिहालों, ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर आवाजाही करनी पड़ती है तथा जंगलों में चारा पत्ती के लिए आवाजाही करनी वाली महिलाओं को भी जान हथेली पर रखकर आवागमन करना पड़ता है। कहा कि केदारनाथ कपाट खुलने के बाद केदारनाथ धाम में पैदल चलने वाला साधु – सन्यासी इसी जर्जर पैदल मार्ग से आवाजाही करते है तथा नेशनल हाईवे के मलवे से पैदल मार्ग पर बने पुल के क्षतिग्रस्त होने से नौनिहालों व ग्रामीणों को एक – दूसरे को सहारा देकर गाड़ – गदेरो को पार करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते पैदल मार्ग की सुध न ली गयी तो ग्रामीणों को आन्दोलन के लिए बाध्य होना पडे़गा जिसकी जिम्मेदारी शासन – प्रशासन की होगी।

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