उत्तराखंड के इस शहर से हटाए जाएंगे 19 हजार घर, सरकार ने बनाया है यह प्लान..
दून शहर के विभिन्न इलाकों में स्थित मलिन बस्तियों में बने 19 हजार मकानों को भविष्य में शिफ्ट किया जाएगा। इसी को ध्यान रखते हुए नियोजन विभाग ने 2041 तक के लिए तैयार किए गए मास्टर प्लान में अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम की संस्तुति की है। ताकि फ्लड जोन में बने मकानों में रह रहे परिवारों का पुनर्वास हो सके। मास्टर प्लान में 77 स्लम पॉकेट दर्शाए गए हैं, जिनमें 19 हजार निर्माण नदी तट, नदी भूमि या उसके आसपास स्थित हैं। नगर निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक भी 16 बस्तियों की भूमि का प्रकार नदी है। इसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता। इसीलिए 2041 तक के लिए तैयार किए गए मास्टर प्लान में रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारों पर तीस मीटर के दायरे में बने मकानों को शिफ्ट करने की सिफारिश की गई है।
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मास्टर प्लान में यह स्पष्ट किया गया है नदियों के किनारे जो मकान बने हैं। उनका पुनर्वास करना होगा। ताकि देहरादून शहर का नियोजित विकास हो सके। सिंचाई विभाग के मुताबिक भी फ्लड जोन में बने मकानों को जल्द से जल्द शिफ्ट करना जरूरी है। इसके अलावा 52 ऐसे पॉकेट हैं, जिनमें 11500 निर्माण सरकारी या निजी भूमि पर स्थित है। इनके नियमितिकरण को लेकर सरकार को ठोस नीति बनानी होगी। तभी लोगों को मालिकाना हक देने का रास्ता साफ होगा।
क्यों दिया जा रहा नियमितिकरण का आश्वासन?
राजनैतिक दल कई सालों से मलिन बस्तियों में रह रहे लोगों को मालिकाना हक दिलाने का आश्वासन दे रहे हैं। दो बार अध्यादेश भी लाया जा चुका है, लेकिन तीसरी श्रेणी में आने वाले यानी नदी भूमि या किनारे पर बने मकानों को शिफ्ट करना जरूरी है।
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बस्तियों को तीन श्रेणियों में बांटा गया
मलिन बस्तियों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में ऐसी बस्तियां हैं जो नदी क्षेत्र से उचित दूरी पर बसी हैं। दूसरी श्रेणी में वह बस्तियां हैं जहां सुरक्षा के लिहाज से कार्य करवाने की जरूरत है। जबकि तीसरी श्रेणी में वह सोलह बस्तियां हैं जिनका लैंडयूज रिवर है और उनका पुनर्वास करना होगा। शहरी विकास विभाग और एमडीडीए को तेजी के साथ इस दिशा में कार्य करना होगा। उत्तराखंड के चीफ टाउन प्लानर, शशि मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि मास्टर प्लान में अफोरडेबल हाउसिंग स्कीम का प्रावधान किया गया है। मलिन बस्तियों का पुनर्वास उसी का एक भाग है। बस्ती के लोगों के लिए यदि भविष्य कहीं भी आवासीय योजना शासन स्वीकृत करता है तो वह महायोजना के प्रत्येक भू उपयोग में अनुमन्य होगी। ऐसी योजनाओं में मास्टर प्लान कहीं भी बाधा नहीं बनेगा।
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